Department of Hindi

Overview

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की स्थापना 2002 में हुई। अपने स्थापना वर्ष से ही विभाग ने हिंदी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया। अपनी स्थापना के प्रारम्भ में ही विभाग ने हिंदी साहित्य और पत्रकारिता में स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये। सन २०१८ में विभाग के भवन का विस्तार हुआ। हिंदी में तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देने और विद्यार्थियों को तकनीक से जोड़ने के लिये संसाधनों से सुव्यवस्थित कंप्यूटर लैब विकसित की गई। हिंदी विद्यार्थियों की लेखन क्षमता को बढ़ाने और विचाराभिव्यक्ति और भावाभवक्ति को सशक्त बनाने हेतु विभागीय पत्रिका मंथन को प्रत्येक वर्ष निजी संसाधनों और प्रयासों से प्रकाशित की जाती है। सन 2008 में भाषा और साहित्य को संवर्धित करने वाले विचारों और अध्ययन अध्यापन से संबंधित विभागीय गतिविधियों के ऑनलाइन प्रस्तुतिकरण के लिए manthanvicharpatrika.blogspot.com से विभागीय ब्लॉग का निर्माण किया गया। 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में हिंदी प्रयोग के लिये विभाग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विभाग के पास साहित्य, संस्कृति, भाषा, आलोचना, नवीन विमर्शों से सम्बंधित पुस्तकों से समृद्ध एक पुस्तकालय है। इस दौरान हिंदी चीनी शब्द कोष निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विभाग समय समय पर समसामयिक साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक विषयों पर संगोष्ठी, वेबगोष्ठी का आयोजन करता रहा है. कोरोना काल में विभागाध्यक्ष प्रो० नवीन चंद्र लोहनी ने फेसबुक पर 'हिन्दीगिरी' वेबगोष्ठी नाम से लगभग 47 दिनों तक देश विदेश के हिंदी विशेषज्ञों के सानिध्य में हिंदी पर चर्चा परिचर्चा की। विभाग के अनेक से विद्यार्थी राष्ट्रीय सरकारी, अर्द्धसरकारी, निजी संस्थानों में कार्यरत हैं। विभाग के शिक्षक और विद्यार्थी दूरदर्शन, रेडियो चर्चा परिचर्चा में प्रतिभागिता करते रहे है। नेट जे आर एफ की परीक्षा में विभाग के विद्यार्थियों का प्रदर्शन हमेशा श्रेष्ठ रहा है. उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त कई शोध परियोजनाओं पर विभाग सफलतापूर्वक शोध कार्य संपन्न कर चुका है। विभाग में नई शिक्षा नीति के अंतर्गत B.A पाठ्यक्रम, B.A ऑनर्स पाठ्यक्रम, M.A स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम, प्री पीएचडी पाठ्यक्रम, पीएचडी पाठ्यक्रम चल रहे है. विभाग ने भारत से बाहर लिखे जाने वाले हिंदी साहित्य को प्रवासी हिंदी साहित्य और क्षेत्रीय बोली के साहित्य को कौरवी लोक साहित्य के अंतर्गत पाठ्यक्रम में शामिल किया है. विभाग के शिक्षक और शोधार्थियों के शोधपत्र यूजीसी मान्यता प्राप्त शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।